Specific on Astrology and Lunar Eclipse :-
प्रस्तुत चित्र पृथ्वी के काल्पनिक खगोलीय गोल का है। इस गोल को 27 बराबर भागों में नक्षत्रों के आधार पर बांटा गया है। अश्विनी नक्षत्र पहला बिंदु है। 5 जून 2020 को चंद्र ग्रहण उपछाया ग्रहण है, अर्थात चंद्र पर पृथ्वी का कोई अवरोध नहीं दिखता बस स्पर्श मात्र है। इसका विस्तार से वर्णन हमने पिछले लेख में किया है।

चित्र नंबर 1-
चंद्र ग्रहण की कुंडली में ग्रहण ज्येष्ठा नक्षत्र के दूसरे चरण में है। सूर्य रोहिणी के चतुर्थ चरण में है, जबकि राहु मृगशिरा के चौथे चरण में और केतु मूला के दूसरे चरण में है ।

चित्र नंबर 2
चंद्र की वृश्चिक राशि है, जबकि सूर्य ठीक सातवीं राशि वृषभ में है । यह स्थिति पूर्णिमा की स्थिति है। यहां राहु केतु से सूर्य चंद्र का एक राशि का अंतर है। जैसे कि हमने पिछले लेख में राहु केतु का वर्णन किया था कि सूर्य चंद्र ग्रहण में पात बिंदु अर्थात राहु केतु का सूर्य चंद्र का 12 डिग्री से निकट होना अनिवार्य है सूर्य या चंद्र ग्रहण तभी संभव होता है।

चित्र नंबर 3 में चंद्र 230° 39’7″ है, वहीं सूर्य 5°28’10” है। यहां पर हम देखते हैं कि केतु 245° 53’10” पर है जिससे चंद्रमा का अंतर स्पष्ट दिखता है जो लगभग 14- 15° के लगभग है। यहां स्पष्ट है कि चंद्रग्रहण जैसी कोई घटना नहीं है । क्रमशः—
Shukriya aapka is trah ki jankaari dene k liye
well explained ,Thanks